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विमलेश कान्ति वर्मा

विमलेश कांति वर्मा

लब्धप्रतिष्ठ भाषा वैज्ञानिक डॉ. विमलेश कांति वर्मा विदेशों में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रबल उन्‍नायक हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान और हिंदी भाषा तथा साहित्य का लगभग पाँच दशकों तक अध्यापन करते हुए आपने कनाडा, बल्गारिया तथा फौजी में हिंदी प्राध्यापक और वरिष्ठ राजनयिक के रूप में प्रतिनियुक्ति पर रहकर हिंदी की प्रभूत सेवा की है और अब स्वदेश में रहकर आज भी कर रहे हैं। आप रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड (लंदन) के फेलो भी हैं। हिंदी भाषा के वैश्विक स्तर पर आपके द्वारा किये गए प्रचार-प्रसार के कारण आप भारत के राष्ट्रपति के हाथों ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान’ तथा उत्तर प्रदेश सरकार के ‘हिंदी विदेश प्रसार सम्मान’ से सम्मानित भी हो चुके हैं। प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य के स्वरूप और विकास पर आपके पाँच महत्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हैं।

भाषा साहित्य और संस्कृति

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सरनामी हिंदी हिंदी का विश्व फलक

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सूरीनाम का सृजनात्मक हिन्दी साहित्य

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मूल्य: $ 22.95

भारत से हजारों मील दूर स्थित एक देश में लिखी ये रचनाएँ प्रवासी भारतीयों की संघर्ष-कथा का साहित्यिक दस्तावेज हैं जिनका ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय महत्त्व है।   आगे...

 

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